सालम पंजा बेनिफिट्स इन हिंदी :(Salam Panja Benefits in Hindi) :-

सालम पंजा बहुत ही गुणकारी आयुर्वेदिक औष​धी है जो पौष्टिक होने के साथ ही बलवीर्य वर्धक और यौन शक्ति में वर्द्धि कर नपुंसक्ता को नष्ट करती है। यह कमजोरी को दूर करने वाली, शीतवीर्य, वात पित्त शमन करना, भारी, वात नाडिया को शक्ति दने वाली, पाचन शक्ति को बढ़ाने वाली एव शुक्राणु वर्धक है सालम मिश्री अर्थात सालम पंजा में प्रोटीन, पोटेसियम, फास्फेट, क्लोरॉइड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते है। इसका प्रयोग प्राय समुंद में लम्बी यात्रा करने वाले लोग करते है इसके प्रयोग से रक्त विकार,कफ के रोग, रक्त पित्त के आदि रोगो में फायदा होता है। 
हम इस लेख में इसके फायदों के बारे में व यह क्या है और इसका कैसे प्रयोग किया जाता है को जानेंगे। 

सालम पंजा क्या है:(Salam Panja in Hindi):-

सालम पंजा को सालम मिश्री भी कहा जाता है अन्य भाषाओ में इसके अलग – अलग नामो से पुकारा जाता है जैसे संस्कृत में इसे बीजगंध एव गुजरती एव पंजाबी में सालम, बंगाल में मिछरी, मराठी में इसे सालम मिश्री, असमी में सालब मिश्री, तेलगु में गोरु चेटु, एव अंग्रेजी में इसे सालेप कहा जाता है। यह भारत एव तिब्बत में पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में 8 हज़ार से 12 हज़ार फ़ीट की उच्चाई में होता है। यह झाड़ीनुमा देखे देता है इसकी पत्तिया लम्बी व रेखाकार होती जो तने के शीर्ष पर होती है। इनमे होने वाले फूल नीले -बैंगनी कलर के होते है। जो पोधो के मूल से निकलते है। इस पोधो के जड़ ही कंद होते है इनका आकार देखने में पंजे या हथेली की तरह होता है खाने में यह स्वादिष्ट व मीठे होते है इस कंद को दवा व टॉनिक के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस कारण इसे सालम पंजा या सालम मिश्री कहा जाता है उच्च क्वालिटी की सालम क्रीम कलर की तरह होती है यह देखने में गुद्देदार और टूटने पर चमकीली सी होती है। इसकी गंध में कुछ विशेष होती है इसे भारत में फारस, ईरान एव अफगानिस्तान से मंगाया जाता है। इसका प्रयोग कंद की तरह लिया जाता है। यह जड़ी बूटी बचने वाले आयुर्वेदिक स्टोरों में आसानी से मिल जाती है इसका प्रयोग अकेले या अन्य तत्वों के साथ भी किया जा सकता है। सालम पंजा या सालम मिश्री के चूर्ण को गर्म दूध में मिलाकर दिया जा सकता है। 

सालम पंजा के गुण:-

सालम पंजा या सालम मिश्री ताकत बढ़ाने वाला व शीतवीर्य होता है। यह पाचन में भारी, तृप्तिदायक होता है। सालम पंजा मांस की वर्द्धि करने वाला होता है। यह रस में मीठा व  वीर्य की वर्द्धि करने वाला होता है। इसके तासीर शीतल होती है। सालम स्तम्भनकारक और रक्त तथा पित्त को साफ़ करने वाली होती है। यह एसिडिटी, पेट के अल्सर व  पेट से सम्बंधित अन्य रोगो में लाभदायक है। 

मासपेशियों के दर्द में सालम पंजा के फायदे:-

अगर आपको अधिक समय से मांसपेसियों में दर्द रहता है तो यह आपके लिए लाभदायक हो सकता है। इसके लिए आपको समान मात्रा में सालम पंजा व पिप्पली के चूर्ण को मिलकर प्रतिदिन एक चमच्च दिन में दो बार सुबह एव  रात को दूध के साथ खाना चाहिए। 

समुंद यात्रा में सालम पंजा के फायदे:-

पश्चिमी देशों के लोग जो लगातार समुद्री यात्रा करते है वह रोग इस चूर्ण के 2 चमच्च पानी के साथ उबालकर पीते है। जिससे उनके शरीर में शक्ति बनी रहती है तथा भूख भी कम लगती है। 

वात रोग में सालम पंजा के फायदे:-

अगर आपको वात रोग है तो इसके लिए आपको सालम पंजा और पीपल दोनों को मिलाकर महीन चूर्ण बना लेना चाहिए। दोनों समय सुबह और रात को गुनगुने मीठे दूध के साथ सेवन करने से वात प्रकोप ठीक होता है। 

कमजोरी में सालम पंजा के फायदे:-

सालम पंजा कफ व श्वास के रोग, जल्दी श्वास फूलना, कमजोरी, गैस आदि में भी यह लाभदायक है इसके लिए 100 ग्राम सालम पंजा को 200 ग्राम बादाम को बारीक़ पीस कर एक चूर्ण बना ले। इसके चूरन के 10 ग्राम मात्रा को सुबह खली पेट तथा रात को सोने समय इसका सेवन करना चाहिए। इसको प्रतिदिन करने से यौन दुर्बलता में फायदा होता है और यौन शक्ति बढ़ती है। 

प्रसव के बाद महिलाओ के लिए सालम पंजा के फायदे:-

महिलाओ को गर्भ के बाद इसका सेवन करना उनके लिए लाभदायक होता है इससे उनकी कमजोरी व शारारिक दुर्बलता ठीक हो जाती है।

शुक्रमेह में सालम पंजा के फायदे:-

शुक्रमेह के लिए सालम पंजा के साथ सफेद व काली मूसली को 100 -100 ग्राम की मात्रा में कूट कर महीन पूर्ण बना लेना चाहिए इस चूर्ण को शीशे के बर्तन में रखना चाहिए। इस चूर्ण को प्रतिदिन प्रातः एव रात दोनों समय आधा -आधा चमच्च गुनगुने मीठे दूध के साथ सेवन करना लाभदायक होता है। इसके सेवन से शुक्रमेह, स्वपनदोष, शीघ्रपतन जैसे रोगो को दूर कर यौनशक्ति को बढ़ाता है। 

जीर्ण अतिसार या दस्त में सालम पंजा के फायदे:-

अगर आपको जीर्ण अतिसार अर्थात दस्त की परेशानी हो तो इसके लिए आपको सालम पंजा का महीन चूर्ण का एक चमच्च दोनों समय सुबह व रात को छाछ के साथ लेना पुराने दस्त में लाभदायक होता है अगर आप यह उपाय अपना रहे है तो आपको एक माह तक सिर्फ चावल का ही सेवन करना उचित रहता है इस उपाय को लगातार अपनाते रहे जब तक की जीर्ण अतिसार ठीक न हो जाय। 

प्रदर रोग में सालम पंजा के फायदे:-

श्वेतप्रदर और इसके कारण उत्पन होने वाले कमर दर्द को दूर करके शरीर को निरोग रखने के लिए सालम पंजा, सतवारी मूसली के साथ असंध की 50 -50 ग्राम मात्रा को पीस कर महीन चूर्ण बना लेना चाहिए। इस चूर्ण को सुबह व रात को एक चमच्च गर्म मीठे दूध के साथ सेवन करना लाभदायक होता है। 

सफेद पानी निकलने की  समस्या में सालम पंजा के फायदे:-

इसके लिए समान मात्रा में सालम पंजा, सफेद व काली मूसली, शत्तावरी और अश्वगंधा को पीस कर महीन चूर्ण बना लेना चाहिए। इसके पश्चात इस तैयार चूर्ण को रोग आधा चमच्च दिन एक बार सेवन करने से लाभ होगा। 

क्षय रोग में सालम पंजा के फायदे:-

सालम मिश्री में पाये जाने वाली प्रोटीन, पोटेसियम, फास्फेट, क्लोराइड की प्रचुर मात्रा क्षय रोग के लिए फायदेमंद होती है। 

सारांश:-

सलाम पंजा को ही हिंदी भाषा में सालम पंजा कहा जाता है। इन उपायों को धयान में रखकर अपने डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें। डॉक्टर की सलाह के कोई भी कदम ना उठाये।

चेतावनी:-

सलाम पंजा को ही हिंदी भाषा में सालम पंजा कहा जाता है। सालम पंजा एक आयुर्वेदिक दवा है जिससे महिलाओ की हर प्रकार की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। तो अपने जीवन में समस्या के निपटने के लिए सालम पंजा का उपयोग करें। इस दवाई का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है। इसका उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।

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