निल स्पर्म ट्रीटमेंट का आयुर्वेदिक:(Nil Sperm Ka Ayurvedic Treetment):-

निल स्पर्म ट्रीटमेंट आयुर्वेदिक:– वर्तमान समय में पिता बनने की इच्छा बड़ी परेशानियों के बाद पूरी होती है। आज पुरुषो में सेक्सुअल (Sexual) हेल्थ (Health) जुडी कई ऐसी परेशानिया देखने को मिल रही है। जिससे पुरुष निसंतानता समस्या का शिकार होता जा रहा है। वर्ष 2013 में पुरुषो के शक्राणुओ के अध्‍ययन के अनुसार पहले की अपेक्षा पुरुषो में शुक्राणुओं की संख्या में कमी आई है। जिसे एजुस्पर्मिया (Ajuspermiya) या निल शुक्राणु के रूप में देखा जा सकता है।

निल शुक्राणु क्या होता है:– जब पुरुष के वीर्य (Virya) में शुक्राणुओं की कमी हो जाती है। या शुक्राणुओं की उपस्थिति नगण्‍य होती है। तो इस स्थिति को एजुस्पर्मिया कहते है। एजुस्पर्मिया पुरुषो के वीर्य में होने वाली एक बड़ी समस्या है। जो की पुरुष की निःसंतानता का एक प्रमुख कारण है। विशेषज्ञों के अनुसार एजुस्पर्मिया का सीधा सम्बन्ध पुरुषो की निःसंतानता से है।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के अनुसार जारी किए हुए आकड़ो से पता चला है। की बीते दो दशको के दौरान पुरुषो में शुक्राणुओं के आकार और संरचना में भारी कमी आई है। और साथ ही स्पर्म काउंट (Sperm Count) में भारी गिरावट दर्ज की गई है। वर्ष 2001 से 2013 तक पुरुषो में स्पर्म की गिरावट 33% दर्ज की गई है।

निल शुक्राणु के लक्षण:-

1. पत्नी के गर्भ धारण में असमर्थ होना।
2. पेशाब करने पर दर्द महसूस होना।
3. वीर्य (Virya) स्खलन में समस्या होना।
4. अंडकोष में सूजन होना
5. अंडकोष में गांठ होना इत्यादि एजुस्पर्मिया के लक्षण हैं।

निल शुक्राणु किससे होता है:-

आयुर्वेद के अनुसार एजुस्पर्मिया होने के कई कारण हो सकते है
1. संक्रमण
2. अंडकोष में चोट लगना।
3. अनुवांशिक
4. नसबंदी
5. सर्जरी।

6. जीवनशेली में अधिक शराब और धूम्रपान का सेवन करना।
7.प्रोस्टेट ग्लैंड की समस्या।
8.अधिक शारीरिक और मानसिक परिश्रम करना।
9.शरीर में ज़िन्क तत्व की कमी होना।
10.धूम्रपान व शराब का सेवन करना।
11.तनाव।

निल शुक्राणु रोग के उपचार क्या होता है:-

आयुर्वेदिक (Ayurvedic)चिकित्सा दुनिया की सबसे प्राचीनतम चिकित्सा है। आयुर्वेदिक औषधियों के माध्यम से पुरुष वीर्य के शुक्राणुओं (Shukranuo) की संख्या को बढ़ाया जा सकता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्ति शरीर तथा मन की ऊर्जा में संतुलित स्थापित करती है।आयुर्वेद की पंचकर्म चिकित्सा पद्ति का एक भाग है। मालिश सम्पूर्ण शरीर में रक्त का संचार में सुधार होता है।
आयुर्वेद के अनुसार हर दिन शरीर को मालिश करना चाहिए मालिश करने से शरीर में ठीक प्रकार से रक्त का संचार होता है! रक्त संचार होने से पुरुष के शरीर में शुक्राणु में तेजी से वर्द्धि होती है अभ्यंग के द्वारा शरीर के तीनो दोष (वात,पित्त एवं कफ दोष) को नियंत्रित किया जाता है।

निल स्पर्म के कारण और उसके उपचार क्या है:-

कोई भी व्यक्ति शरीर से कितना भी स्वस्थ हो कितना भी अच्छा आहार लेता हो फिर भी उसमे बांझपन के लक्षण हो सकते है। वास्तव में अधिकांश पुरुषो ऐसे कोई स्पष्ट संकेत साफ़ नहीं दिखते है। सम्भोग हमेशा की तरह रस्खलन वीर्य की मात्रा सामान्य लगती है। हालांकि, केवल चिकित्सा परीक्षण और परीक्षण ही बता सकते हैं। व्यक्ति बांझपन है की नहीं
कई अध्ययनों से पता चला है। की पिछले कुछ वर्षो में में शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता और सरचना में गिरावट आई है। गुणवत्ता में यह गिरावट जीवनशैली में बदलाव जैसे ख़राब आहार, व्यायाम की कमी, अपर्यापत नींद, तनाव, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अति प्रयोग, तम्बाकू और शराब से जुडी हुई। है धूम्रपान और नियमित शराब पीना व्यक्ति के में बांझपन में वृद्धि के प्रमुख कारणों में से एक है। वर्तमान में शहरी ही नहीं बल्कि ग्रामीण भी क्षेत्र भी कमोबेश काम के तनाव का सामना कर रहा है। इसिलए मौसमी फल, नियमित व्यायाम, अपर्यापत नींद के साथ उचित आहार भी आवश्यक लेना चाहिए।

निल शुक्राणु का आयुर्वेदिक उपचार:- 

1. पुरुषो में बांझपन के उपचार में हार्मोनल समस्या के लिए दवाई, एंटीऑक्सीडेट का उपयोग जीवनशैली में बदलाव और भी बहुत कुछ शामिल है। उपचार की विधि शुक्राणुओं की संख्या और जीवनसाथी से जुडी समस्या पर निर्भर करती है। ओलिगोस्पर्मिया में शुक्राणुओं में शुक्राणुओं की संख्या बहुत कम होती है। अशुक्राणुता (Spermatogenesis) की स्थिति में शुक्राणुओं की संख्या शून्य होती है।

2. आयुर्वेद में एक अभ्यंग पद्धति है। जिसे आम बोल चाल की भाषा में मसाज या मालिश कहा जाता है। अभ्यंग प्रक्रिया के अंतर्गत आयुर्वेदिक तेलों से शरीर की मालिश करनी चाहिए जिससे पूरा शरीर में रक्त का तेजी से संचार हो सके रक्त का संचार होने पर शरीर में शुक्राणुओं की वर्द्धि होती दिखाई देती है। साथ ही शरीर में काफी सुधार भी देखने को मिलता है।
शिलाजीत एक हर्बल आयुर्वेदिक औषधि है जिसमे पर्याप्त मात्रा में एंटी एजिंग प्रॉपर्टी विद्यमान रहती हैअगर आप निल शुक्राणुओं की समस्या से परेशान हो तो शिलाजीत का ज़रूर सेवन करे आपके लिए एक वरदान सा साबित होगा शिलाजीत (Shilajeet) से आप अपने शुक्राणुओं में तेजी से इजाफा कर सकते है। और निल शुक्राणुओं (Shukranuo) की समस्या से भी छुटकारा पा सकते है!

3.आयुर्वेद (Ayurved) के अनुसार आप अपने वीर्य में शुक्राणुओं को बढ़ाने के लिए अपने आहार में बदलाव कर सकते है। संतुलित और पोषक तत्वों से युक्त आहार आपके वीर्य में शुक्राणुओं की वृद्धि तो करेगा साथ ही शुक्राणुओं की गतिशीलता और गुणवत्ता में भी वर्द्धि करेगा।

निल शुक्राणु का पंचकर्म (Panchkarm) उपचार:-

पंचकर्म चिकित्सा के द्वारा पुरुष का शरीर स्वेदन तथा स्नेहन किया जाता है। स्वेदन तथा स्नेहन शरीर में तेजी से शरीर में रक्त का संचरण होता है। पंचकर्म के द्वारा पुरुष शरीर की मांसपेशियाँ मजबूत होती है। जिसके द्वारा प्रजनन अंगों में देर तक तनाव रह जाता है। पंचकर्म से शरीर की इंद्रिय जगृत होती है और शरीर को शांति मिलती है पंचकर्म के द्वारा अतिरिक्त वसा को दूर किया जा सकता है। पंचकर्म चिकित्सा होने पर ही शरीर में शुक्राणुओं की वर्द्धि हो सकती है। और शरीर को मजबूती मिलती है शरीर में रक्त संचरण तेजी होने से शरीर शुक्राणुओं वर्द्धि होती है निल शुक्राणुओं के उपचार में मदत मिलती है।

सारांश:-

निल शुक्राणु की समस्या आज देश ही नहीं सब जगह एक समान देखने को मिलती है। निल शुक्राणु की कमी की वजह से पुरुषो को पिता बनने में परेशानी हो रही है। इसके उपचार का उपाय इस लेख में दिया गया है। इसको ध्यान से पढ़े और इन बातो पर अमल करे। जिससे निल शुक्राणु की समस्या को दूर करने में मदद मिलेगी। इसके प्रयोग के तरीके भी आसान है। जिन्हे आप आसानी से प्रयोग कर सकते है। और इसके किसी भी प्रकार के साइड इफ़ेक्ट भी नहीं है।

चेतावनी:-

निल शुक्राणु की समस्या को दूर करने के लिए आप किसी भी प्रकार की आयुर्वेदिक दवा या होम्योपैथिक इलाज करवा रहे है तो इन सब को करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें। इससे आपको आयुर्वेदिक दवा होम्योपैथिक इलाज से होने वाले फायदे के बारे में पता चलेगा। की आप किस प्रकार इसका प्रयोग करके इसका फायदा उठा सकते है।

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